दोस्तों भारतीय राजनीती के चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह को तो आप आप भाली भाती जानते होंगे। और अमित शाह इस समय नरेंद्र मोदी जी की केबिनेट भारत के गृह मंत्री के पद को सँभले हुए है। और बीते कुछ सालो में बीजेपी को सबसे बड़ी पार्टी बनाने में अमित शाह ने अहम भूमिका निभाई है।
यहाँ तक की आज के समय में बीजेपी का ऐसा बोला बाला है की केंद्र हो या राज्य हर जगह भारतीय जनता पार्टी ही छायी हुई है और दोस्तों आज बुलंदियों को छु रही है तो राजनीती के चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह का भी इस पार्टी के साथ बहुत बड़ा हाथ हैं।
और दोस्तों जम्मू कश्मीर से धरा 370 और आर्टिकल 35A हटाने में अमित शाह ने ही सबसे जरुरी किरदार निभाया है। और एक बार फिर से लाजवाब मेनेजमेंट की वजह से इसमें भी हर तरह से तारीफे की जा रही है।
और यह फैसला तरीफ के काबिल भी है क्योंकि इस धरावो के हटने के बाद से जम्मू कश्मीर का विकास अब पहलें से कही ज्यदा हो पायेगा।
लेकिन चलिए आज हम इस ब्लॉग में जानते है की इस तरह से सफर तय करते हुए अमित शाह ने राजनीती में यह मुकाम पाया तो दोस्तों इस कहानी की शुरुआत होती है 22 अक्टूबर 1964 से जब सपनो के शहर मुंबई में अमित शाह का जन्म हुआ। और इनके पिता का नाम अनिल चन्द्र शाह है जो की एक गुजरात के मनसा शहर में पिबीसी का बिज़नस किया करते थे।
और अमित शाह की मा का नाम कुसुम्बेन शाह है और दोस्तों यानि की अमित शाह का जन्म मुंबई में हुआ लेकिन गुजरातियों के होने से वह गुजरात में ही पले बढे। इन्होने अपनी शुरुआती पढाई मेहसान शहर के एक स्कूल से की और फिर आगे चलकर क्यू शाह साइंस कॉलेज से इन्होने बायो केमेस्ट्री की पढाई की।
और दोस्तों वह कॉलेज का ही समय था की अमित शाह पहली बार राजनीती से रूबरू हुए। कॉलेज में रहते हुए भी वह आर एस एस से स्वय सेवक बन गए थे। हलाकि कॉलेज की पढाई पूरा होने के बाद से अपने पिता के बिज़नस में थोडा बहुत हाथ बाटाया। साथ ही ये कुछ समय स्टॉक ब्रोकर के तोर पर काम किया।
इसके बाद से ये राजनीती में सक्रीय होने लगे और फिर साल 1982 में अमित शाह पहली बार नरेंद्र मोदी से मिले। और उस समय नरेंद्र मोदी भी आर एस एस के प्रचारक हुआ कते थे। और फिर आगे चलकर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् से राजनीती शुरु करने के बाद 1987 में अमित शाह ने बीजेपी ज्वाइन कर लिया।
और दोस्तों बड़ी ही दिलचस्प बात यह है की अमित शाह ने नरेंद्र मोदी से एक साल पहले ही पार्टी में ज्वाइन किया था। और फिर पार्टी ज्वाइन करने के बाद से ही अमित शाह ने भारतीय जनता युवा मोर्चा जो की बीजेपी की यूथ विंग है। यहाँ से शुरुआत की लेकिन बहुत ही कम समय में अपनी दिमाग और मेहनत की वजह से आगे बढते चले गए।
और फिर युवा मोर्चा के अंतर्गत वार्ड सेक्रेटरी,तालुका सेक्रेटरी,स्टेट सेक्रेटरी,वोइस सेक्रेटरी और जेनेरल सेक्रेटरी के जैसे ही ये सारे अलग अलग पोस्ट पर काम करते रहे। और फिर 1991 के लोकसभा चुनाव में लाल कृष्ण अडवाणी के चुनाव केम्पियन में मेनेज करते हुए अमित शाह पहली बार लाईम लाइट में आये।
और फिर 1995 में बीजेपी ने पहली बार गुजरात में सरकार बनायीं तब उस समय गुजरात के कांग्रेस बहुत ही ताकतवर थी। और दोस्तों इस चुनाव में नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने मिलकर लाजवाब काम किया।
और इन दोनों के दिमाग के वजह से ही पहली बार गुजरात के अन्दर बीजेपी की पार्टी ने चुनाव जीता था। और फिर पार्टी में शानदार काम करते हुए अमित शाह को विधायक में चुनाव लड़ने का मोका भी मिला।
और कहा जाता है की अमित शाह को टिकट दिलाने के लिए नरेंद्र मोदी ने भी सिफारिस की। और इस तरह से उस समय मोदी और अमित शाह की दोस्ती सर चढ़ कर बोलने लगी।
और यह चुनाव भी अपने नाम कर लिए और फिर आगे चलकर 1999 में अमित शाह अहमदाबाद डिस्ट्रिक्ट कोपरेटिव बैंक के अध्यछ बनाये गए। और बड़ी ही दिलचस्प बात यह है की बैंक उस समय घटे में चल रही थी लेकिन अमित शाह के अध्याछ बनने के बाद एक साल में यह मुनाफे में आ गए।
और फिर जब 2011 में जब केसू भाई पटेल को हटाकर नरेंद्र मोदी को गुजरात का सीएम बनाया गया। तब अमित शाह ने भी केबिनेट के अलग अलग मंत्रालय संभाले और दोस्तों एक समय तो ऐसा था की 12 मिनिस्ट्री जब वह अकेली ही संभालते थे।
और फिर इसी तरह से अमित शाह बीजेपी की पार्टी में अहम किरदार निभाते हुए चले। और फिर 2014 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी को जानने में भी अमित शाह ने अहम भूमिका निभाई। और उसी साल बीजेपी का रास्ट्रीय अध्यछ भी बनाया गया।
और दोस्तों यहाँ से तो अमित शाह के दिमाग और नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी ने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा। क्योंकि 2014 के बाद से 2019 में भी बीजेपी ने एक तरफा जीत हासिल की।
और इस बार अमित शाह को गृह मंत्रालय शोपा गया। और दोस्तों गृह मंत्री बनने के महज 3 महीने से भी काम समय पर अमित शाह धारा 370 को ख़त्म करने जैसे कदम भी उठाये।
और इस तरह से इन्होने साबित किया की भारतीय राजनीती के चाणक्य इन्हें यू ही नहीं कहा जाता है। और दोस्तों उम्मीद करता हु की अमित शाह आगे भी इसी तरह से देश के हित में फैसला लेते रहेंगे। क्योंकि देश को नई बुलंदियों तक पहुचाने में वह अपनी एक अहम भूमिका निभाएंगे।