प्रोलैक्टिन और एस्ट्रोजन इन्फ्लामेशन में वर्क करता है। जहा पर प्रोलैक्टिन एस्ट्रोजन का सिक्रिसन ज्यदा होगा वहा पर शरीर के इन्फ्लामेशन होने लगेगी यानि की सूजन होने लगेगी।
और ये सब प्रोलैक्टिन और एस्ट्रोजन नामक हार्मोन के कारण ही होता है उसे ग्लूकोकोर्टिकॉइड ही कंट्रोल करने का कम भी करता है।
और ये टेबलेट खासकर 1mg,6mg,12mg,18mg,24mg,25mg,30mg तक किसी भी मेडिकल स्टोर पर आसानी से मिल जायेंगे। और यहाँ पर बात करे सबसे ज्यदा इस्तेमाल होने वाला 6mg वाला टेबलेट ही है।
डिफ्लैज़ॅकोर्ट टेबलेट का ब्रांड नाम (Deflazacort Tablet Brand Name)
- डेफकॉर्ट
- डेफ्ज़ा
- डिस्कोर्ट
- रेवरकोर्ट
- डेज़ियर
- एंज़ोकोर्ट
- सेरिकोर्ट
- मोनोडेफ
- ड्रोकोर्ट
- एक्टिज़ा
- डेफसूयर
डिफ्लैज़ॅकोर्ट टेबलेटका उपयोग क्या क्या है?(What is the use of deflazacort tablet?)
- किसी भी प्रकार का एलर्जी रिएक्शन होने पर
- अस्थमा या फिर साँस लेने में दिक्कत
- कैंसर का ट्रीटमेंट चल रहा है
- टीबी रोग के लिए
- स्किन डिजीज के समस्या
- आँखों में बीमारी या फिर शरीर के किसी भी भाग में सूजन
- शरीर में खुजली
- फेफड़ो में सूजन
- किडनी में सूजन
- शरीर में लीवर या किडनी ट्रांसप्लांट करते वक्त
- शरीर के किसी भी भाग में दर्द की समस्या
- इम्युनिटी सिस्टम को कमजोर करने के लिए
- जोड़ो में दर्द
- नर्वश सिस्टम को ठीक करने के लिए
- यूरिन होने के साथ जलन की समस्या
- उल्टी जैसे लगना
- गठिया रोगों के लिए
डिफ्लैज़ॅकोर्ट टेबलेट का उपयोग किसे नहीं करना चाहिए?(Who should not use deflazacort tablet?)
- गर्भवती महिलाओ को
- बच्चे को दूध पीलाने वाली महिलाए
- डायबिटीज मरीज
- थायरॉइड मरीज
- हाई ब्लड प्रेशर होने पर
डिफ्लैज़ॅकोर्ट टेबलेट का डोज कैसे लेना चाहिए?(How should I take the dosage of Deflazacort tablet?)
आपको आपकी बीमारी,वजन उम्र के हिसाब से ही ये टेबलेट डॉक्टर के सलाह पर ही लेना होता है।
क्योंकि डिफ्लैज़ॅकोर्ट का कोई फिक्स डोज नहीं है। इसको सामन्यतः डॉक्टर 18 वर्ष से ऊपर के लोग 6mg वाला टेबलेट दिन में दो बार सुबह और शाम खाना खाने के बाद ही लेने के लिए अक्सर बोलते है। और बच्चो के लिए एक दिन में 0.25 से 1.5mg/kg के हिसाब से दे सकते है।
डिफ्लैज़ॅकोर्ट टेबलेट का साइड इफ़ेक्ट क्या है?(What are the side effects of deflazacort)
- भूख ज्यदा लगना
- शरीर वजन का बढ़ जाना
- शरीर में मोटापा बढ़ जाना
- पीठ या शरीर के किसी भी हिस्से में बाल आ जाना
- यूरिन का बार बार आना
- पेट खराब होना
- मुड में बदलाव आना
- यूरिन करते वक्त जलन की समस्या
- गले में खराश
- ब्लड प्रेशर बढ़ जाना
- प्यास अधिक लगना
- ठंड लगने की समस्या
- मुहासे आ जाना
- चक्कर आ जाना
- बुखर आ जाना
- साँस लेने में दिक्कत
- शरीर में थकावट बना रहना
- खांसी आना