जब भी हम लोन लेते है तो बहुत सारे tearm and condition वाले फॉर्म रहते है। इनमे से कोन सा ECS का फॉर्म है हमें वो बिल्कुल भी पता नहीं चल नहीं पता है।
और जो बैंक है या फिर फाइनेंस कंपनी वो भी हमें नहीं बताता तो जब भी हम किसी भी प्रकार के चाहे वो 5 व्हीलर,4 व्हीलर,पर्सनल लोन या फिर होम लोन जब भी हम इस प्रकार का लोन लेते है। तो ECS का फॉर्म में उस वक्त साइन करते है।
इससे जो भी हम लोन लेते है तो हमारा जो ammount है और हमारा जो भी EMI होता है। वो ECS की मदद से हमारा जो भी EMI है वो auto pay में चला जाता है।
और auto pay से हमारा जो भी account है जो भी हमारा EMI है वो auto pay के जरिये हम किसी भी बैंक या किसी भी फाईनेंस से लोन लिया है उसको हम EMI paid करते है।
जब भी हम लोन लेते है उस समय हमारा जो account है हमारा जो बैंक account है और जो भी हम लोन लेने वाले है और उसका जो account होता है वो एक दुसरे से जुड़ जाता है वो ECS से जुड़ जाता है।
यानि की जब भी हम लोन किसी भी प्रकार का लेंगे तो हमारा जो बैंक account है उससे हमारा EMI हमारा लोन वहा से auto debit हो जाता है। तो यहाँ पर एक तरह से किसी भी कंपनी को किसी भी बैंक को हमारा अकाउंट से पैसे निकलने की वहा पर परमिशन ECS के जरिये दे देते है।
और जब हम अग्रीमेंट पर साइन कर रहे होते है तब ECS के दवारा जो भी हमारा बैंक account होता है वहा पर एक OTP generate कर दिया जाता है जो की हमें ECS फॉर्म साइन करने के समय या बाद में वो OTP हम जिस फाईनेंस कंपनी से या किसी बैंक से लोन लेते है तो हमें उस समय वो OTP वहा पर देना पड़ता है।
जब भी हम वो OTP किसी भी कंपनी को या किसी भी बेंको को या किसी भी फाइनेंस को देंगे तो हमारा जो बैंक अकाउंट होता है और जो हमारा लोन अकाउंट होता है वे एक दुसरे से कनेक्ट होकर auto pay में जो debit हमारा पैसा होने वाला है वो auto pay में चला जाता है।
उसके बाद जब भी हमारा EMI हर महीने आएगा तो वो automatic ही वहा से कट जायेगा तो इसी को हम ECS कहते है।
ECS के फायदे क्या क्या है?
जब भी हम किसी भी प्रकार का लोन लेते है, तो manually उसका EMI को paid नहीं करना पड़ता है तो ECS के दवारा हमारा जो भी लोन ammount है जो हमारा EMI है वो हर महीने automatically जिस कंपनी या जिस फाइनेंस से लोन लिया है उसको manually हमें paid नहीं करना पड़ता है।
automatic हमारा account से पैसा कट हो जाता है और हमारे account से automatic debit किया जाता है तो उस वजह से हमें कोई भी हमें वहा पे कुछ भी नहीं करना पड़ता है है।
हमारा जो भी लोन का EMI है वहा पर हर महीने कट जाता है तो इससे हमें ये चीज ध्यान नहीं रखना होता है। की कब हमारा EMI आएगा और हमें कब ये EMI हाथ से manually उसे paid करना है।
और account में अगर उस EMI के उतना पैसे रहेंगे बैंक में तो automatic ही वहा पर debit किया जायेगा तो उससे हमें चिंता नहीं होती की कब EMI भरना है और हमें कोई भी बाऊन्सिंग चार्जेज भी वहा नहीं देने पड़ेंगे।
आगे से अगर आप कोई भी लोन लेते है तो आपको अगर समझाना है तो आपका जो ECS है वो आपके बैंक से कैसे कनेक्ट होता है तो आप वहा पर जानेंगे की किसी भी प्रकार का लोन या अग्रीमेंट साइन कर रहे होंगे तो आपको बैंक की तरफ से OTP उसके system से डाल दिया जाता है।
और आपना बैंक अकाउंट है वो एक दुसरे से कनेक्ट हो जाते है तो वहा पे हमें ये बाद में समझ में आएगी की हमारा जो बैंक है और जो हमारा लोन account है वो ECS के दवारा वहा पर कनेक्ट हो चूका है।
जब भी हम कोई भी लोन को लेंगे उसका EMI है वो auto pay से उतना ammount हर महीने EMI से महीने भरना है उतना वहा पर कट हो जायेगा और उतना loan account में वहा चला जायेगा।
ECS के नुकसान क्या क्या है?
जब हम लोन लेते है अगर हम उसका EMI समय पर paid नहीं करते है तो हमारे बैंक में जो account है जो हमारा link account है अगर उसमे उतना पैसा नहीं रखते है तो हमारा EMI के दवारा जाने वाला है अगर उतना पैसा वहा पर नही रखते है।
तो हमें उसको बाद में manually देना पड़ेगा लेकिन हमारा जो bouncing charges है वहा पर ECS के दवारा कभी भी हमारे बैंक account से जब भी हमारे बैंक account में पैसा डिपाजिट करेंगे उस समय जो bouncing charges वहा पर ECS के दवारा कट लिया जायेगा।
हमसे परमिशन वहा पर नहीं लेनी पड़ती है क्योंकि जो परमिशन है हम लोन लेने के वक्त ही उनको दे दी होती है। तो इसलिए वो कंपनी हमसे बिना पूछे कुछ भी हमारे अकाउंट से उनको उतना पैसा कट सकती है।
किसी किसी का ये प्रॉब्लम होता है अगर किसी ने एक EMI भी वहा पर नहीं भरा है तो उसके अकाउंट से कभी एक बार तो कभी दो बार या चार-चार भी ECS के दवारा उसके bouncing charges कट लिए जाते है।
वो बाद में settlement के दवारा बाद में क्लियर हो जाता है, लेकिन किसी किसी का प्रॉब्लम होता है क्योंकि वह system पर generate होता है और किसी किसी के account से एक बार में चार-चार बार भी वहा पर bouncing charges वहा पर कट लिया जाते है। जिससे की कस्टमर को परेशनी होती है और उसको समझ में नहीं आता है की ये किस तरह से हो चूका है
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