इस ब्लॉग में बात करेंगे मैकेनिकल इंजिनियर से झारखण्ड के सी.एम बने हेमंत सोरेन की है इन्होने हल ही में चुनाव जीतकर अपनी सत्ता स्थापित की है। इससे पहले झारखण्ड के पाचवे मुख्यमंत्री रह चुके है और इनकी राजनीती पार्टी का नाम झारखण्ड मुक्ति मोर्चा है।
इनके पार्टी में 2019 के विधानसभा चुनाव में 30 सीट लाकर कांग्रेस से गठबंधन कर बहुमत हासिल किया है। हेमंत का जन्म 10 अगस्त 1975 के झारखण्ड के रामगढ़ जिले के नेमारा गाव में हुआ।
इसके पिता का नाम शिबू सोरेन और माँ का नाम रूपी सोरेन है इनके पिता शिबू सोरेन एक पोलिटिसियान है हेमंत के दो भाई है दुर्गा सोरेन और बसंत सोरेन।
और इनकी एक छोटी बहनहै जिनका नाम अंजलि सोरेन है। हेमंत ने पटना हाई स्कूल से कक्षा बारहवी तक की पढाई की। इसके बाद ये इंजीनियरिंग के पढाई करने के लिए बी.आई.टी मेशरा में एडमिशन लिया। और मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढाई करने लगे।
लेकिन बीच में ही छोड़ दिए चुकी इनके पिता शिबू सोरेन जो की तीन बार झारखण्ड के सीएम रह चुके है।
इसलिए इनको एक पोलिटिकल बेकग्राउंड मिल चूका था इनकी पत्नी का नाम कल्पना सोरेन है जो की एक बिजनेसमैन वुमन है।
कल्पना और हेमंत के दो बच्चे है बात करे इनके राजनीतिक करियर की तो साल 2000 में हेमंत सोरेन पहली बार विधानसभा उपचुनाव में उतरे।
हलाकि बाद में इन्होने एम.सी.सी प्रत्य्सी के समर्थन में आपना नामंकन वापस ले लिया। और 2015 में ये झारखण्ड के दुमका चुनाव लाडे।
हेमंत के साथ इन्ही की पार्टी झारखण्ड मुक्ति मोर्चा से भागे हुए स्टीफन मरांडी से उपचुनाव में हेमंत स्टीफन से हर गए थे।
लेकिन हेमंत ने हर नहीं मनी और आपने क्षेत्र आदिवासीयो के लिए काम करते रहे। जो की हेमंत भी एक अनुसूचित जन जाती से आते है।
इसलिए हेमंत झारखण्ड के लोगो को भरोषा दिलाने के लिए कामयब हुए। और 2019 में विधानसभा चुनाव जितने का मुख्य कारणो में से एक कारण ये भी था की हेमंत सोरेन एक आदिवासी नेता है।
और साल 2009 में बड़े भाई दुर्गा सोरेन के असमय मोत के बाद हेमंत अचानक नेता बन कर उभरे। पहली बार 24 जून 2009 को राज्यसभा में सदस्य के रूप में चुना गया था।
और उसी साल दुमका विधानसभा सीट पर जीत हासिल करने में सफल रहे। विधायक चुने जाने के बाद इन्होने राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया।
साल 2010 में अर्जुन मुंडा के साथ मिलकर बीजेपी जेएमएम गठबंधन सरकार पहली बार राज्य की पहली बार उप मुख्यमंत्री बने।
इसके बाद जुलाई 2013 में राज्य के मुख्यमंत्री भी बने हेमंत सोरेन के सीएम बनने की कहानी बड़ी ही दिचास्पी है। दरशल साल 2010 में जब वे अर्जुन मुंडा के साथ सरकार में शामिल हुए तो बीजेपी और जेएमएम के बीच डील हुई।
और इस डील के मुताबित दोनों आधे आधे अवधि तक मुख्यमंत्री रहने वाले थे। पहले आधे कार्यकाल में अर्जुन मुंडा सीएम बने और हेमंत डिप्टी सीएम।
लेकिन बात बीच में ही बिगड़ गयी 2 साल 4 महीने 7 दिन के बाद यह गठबंधन की सरकार गिर गयी और राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा।
हलाकि बाद में कांग्रेस और राजद ने समर्थन देकर 2013 में हेमंत सोरेन को मुख्यमंत्री बना दिया। और इस तरह से राज्य में पहली बार जेएमएम,राजद कांग्रेस गठबंधन की सरकार बनी।
हेमंत सोरेन ने एक साथ पाच महीने 15 दिन की सरकार चलायी फिर विधानसभा चुनाव में बतोर मुख्यमंत्री हेमंत ने कई अच्छे काम किया।
सरकारी नोकरी में महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण देने जैसे महत्वपूर्ण निर्णय लिए। और साल 2014 में विधानसभा चुनाव में हेमंत की पार्टी को 19 सीटे मिली।
जबकि बीजेपि बहुमत करने में सफल रही हेमंत झारखण्ड विधानसभा के नेता के विपछ बने इस दोरान मुख्यमंत्री रघुवर दास के खिलाफ लम्बी लडाई लड़ी।
इन्होने रघुवर सरकार दवारा भूमि अधिग्रहण कानून के संसोधनो का विरोघ किया और 2014 के विधानसभा चुनाव में हेमंत सोरेन और इनकी पार्टी जल जंगल जमीन की मुद्दों पर चुनाव लड़ रही थी।
इन्होने पिछड़ी जातियों के लिए 27 फीसदी आरक्षण का वादा किया था इसके लिए वह केंद्र में बीजेपी की सरकार की नीतियों से जनता परेशान थी।
इसका बदला इन्होने इस प्रकार लिया यहाँ के लोगो का कहना है झारखण्ड के कई आदिवासी व्यक्ति को ही सीएम के लिए चुनना था।
जो की रघुवर दास छत्तीसगढ़ के है और आदिवासी भी नहीं है ये कारण भी है हेमंत सोरेन की चुनाव जीतने का तो दोस्तों ये थी कहानी झारखण्ड के नव निर्वाचित सीएम हेमंत सरकार की।