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लता मंगेशकर की जीवनी | Lata Mangeshkar Biography In Hindi

इस ब्लॉग में आज हम ऐसी महान शख्सशियत के बारे में बात करेंगे जिनसे अपनी सुरीली आवाज के दम पर न केवल भारत में बल्कि दुनिया के हर कोने में आपनी पहचान बनाई है। और इन्हें टेलेंट की वजह से भी क्वीन ऑफ़ मिलोडी,वोइस ऑफ़ दा नेशन और वोइस ऑफ़ दा मिलिनियम जैसे कई अलग अलग नमो से भी जाना जाता है।

जी हां दोस्तों आज हम इस ब्लॉग में बात कर रहे है आपनी गानों से लोगो की दिलो पर राज करने वाले भारतीय सिंगर लता मंगेशकर की जिनके गाने तो हम सभी ने ही सुनी होगी। हलाकि हमने लता जी को बतोर एक सिंगर तो जानते ही है लेकिन बहुत ही कम लोगो को उनके लाइफ स्टोरी और सफलता के पीछे का राज पता है।

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तो दोस्तों आज के इस ब्लॉग में भी मोस्ट पॉपुलर सिंगर ऑफ़ ऑल टाइम की लिस्ट में गिने जाने वाली लता जी पूरी लाइफ स्टोरी को जानेंगे। की किस तरह से एक आम परिवार में पैदा होने वाली लड़की बनी पुरे देश की आवाज।

तो दोस्तों इस कहानी की शुरुआत होती है 28 दिसम्बर 1929 से जब मध्यप्रदेश के इंदोर शहर में लता मंगेशकर का जन्म हुआ। उनके पिता का नाम दीनानाथ मंगेशकर था जो की एक गायक और थिएटर एक्टर भी थे। और उनकी मा का नाम शेवंती मंगेशकर था और दोस्तों वैसे तो लता मंगेशकर का नाम शुरुआत में हेमा रखा गया था।

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लेकिन बाद में चलकर उनके पिता ने उनका नाम एक प्ले के एक केरेक्टर लतिका के नाम पर लता रख दिया। और लता जब 5 साल की थी तभी से उन्होंने एक म्यूजिकल नाटक के लिए बतोर एक्ट्रेस काम करना शुरु कर दिया। और बचपन में स्कूल के समय से उन्होंने गाने की प्रैक्टिस करना भी शुरु कर दी थी।

यहाँ तक की वह आपने घर पर आपने पिता जी से गाना गाने सीखती और फिर स्कूल में जाकर बच्चो को भी सिखाती थी। लेकिन एक दिन स्कूल के ही टीचर ने उन्हें इसके लिए खूब फटकार लगाये। और तभी से लता मंगेशकर ने स्कूल जाना ही बंद कर दिया और अक्सर काफी छोटी उम्र से ही लता आपने पिता के शिष्यों के गलतिया पकड़कर उन्हें सही सुर बताती थी।

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और यहाँ सब कुछ देखकर उनके पिता जन चुके थे की एक की रात उनके घर में ही है। और उन्होंने लता जी को अच्छी सी ट्रेनिंग दिलाना शुरु कर दी। हलाकि जब लता मंगेशकर 13 साल की थी तब हार्ट डिजीज की वजह से उनके पिताजी की मृत्यु हो गयी थी। और इस टाइम पर मनो पुरे परिवार पर दुखो का पहाड़ टूट पड़ा।

और फिर पंडित दीनानाथ की मृत्यु के बाद से ही घर की जिम्मेदारी भी लता के उपर आ गए। क्योंकि वह आपने भाई बहनों में सबसे बड़ी थी और फिर इन संकट परिस्थितियों में लता के पिता के काफी करीबी मित्र मास्टर विनायक ने उनके की खुद मदद की।

और उन्होंने ही लता को बतोर एक सिंगर करियर शुरु करने में सहयोग की। और पहली बार लता जी ने मराठी फिल्म के लिए गाना गया, लेकिन दुर्भाग्य से यह गाना फाइनल कट में जगह नहीं बना सकी। हलाकि अभी भी लता मंगेशकर ने निराश न होकर आपना प्रक्टिस जरी रखा।

और फिर सन 1942 में पहली बार उनके एक गानों को “पहली मंगेशकर” नाम की एक मराठी फिल्म में सुना दिया। और फिर आगले ही साल 1942 में हिंदी गाना भी गया जिसके ये बोल थे “माता एक सपूत की दुनिया बदल दे तु”

और फिर जब लता जी को यह लगने लगा की वह इस फिल्ड में काफी सफल हो सकती है तो 1945 में वह पूरी तरह से मुंबई शिफ्ट हो गयी। और यहाँ पर आने के बाद से उन्होंने आपनी स्किल्स को और इम्प्रूव करने के लिए उस्ताद अमन अली खान से म्यूजिक सिखा।

हलाकि इस बीच उनके सबसे बड़े सहयोगी मास्टर विनायक की मृत्यु हो गयी और आगे एक मेंटर के तोर पर गुलाम हैदर ने लता के लिए काम किया। और फिर गुलाम हैदर ने ही लता को ससधर मुखर्जी नाम के प्रोड्यूसर से मिलवाया।

जिनमे लता जी की आवाज को यह कहकर नकार दिया की वह बहुत पतली ही गाती है और इस प्रतिक्रिया से गुलाम हैदर जी काफी गुस्सा हुए। और उन्हें इस गुस्से में कहा की आप देख लेना की आने वाले सालो में प्रोड्यूसर्स और डायरेक्टर्स लता की पेरो में गिरकर उनसे आपने फिल्मो में गाने की भीख मांगेगे।

और फिर लता जी को उनके जीवन के अभी तक के सबसे बड़ी सफलता मिली सन 1948 में, जब इन्होने “मजबूर” फिल्म का एक गाना गया। जिसके बोल थे “दिल मेरा तोडा मुझे कही का न छोड़ा” और यह गाना पुरे भारत में बहुत बड़ा हिट साबित हुआ।

और सच में हर म्यूजिक डायरेक्टर्स उनके साथ काम करने का सपना देखने लगे। और फिर आगे चलकर लता जी ने शंकर जय किशन,नोव्साद अली,आर.डी.वर्मन,अमरनाथ,हसन लाल और भगतराम जैसे बड़े बड़े म्यूजिक डायरेक्टर्स के साथ काम किया।

और आपने आवाज से बहुत ही जल्द लोगो की दिलो में आपनी एक अलग ही जगह बना ली। हलाकि सफलता के साथ ही लता जी के दुश्मन भी काफी ज्यादा बढ़ चुके थे। और इसलिए सन 1962 में तबियत बिगड़ने के बाद पता चला की थोड़ी थोड़ी मात्रा में उन्हें कोई जहर दे रहा था।

और फिर आच्छी तरह से जाच के बाद यह पता चला की वह आदमी कोई और नहीं बल्कि उनका ही कुक था। जो की भागने में कामयाब रहा हलाकि कुछ महीनो के बेडरेस्ट के बाद लता जी पूरी तरह से ठिक हो गयी और फिर 27 जनवरी 1963 को उस समय के प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु के सामने “ए मेरे वतन के लोगो” गाना गए।

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और कहते है की इस गाने को सुनकर वहा पर बैठे सभी लोगो के आखो में आँसू आ गए। और फिर आगे चलकर संगीत जगत में लता जी के योगदान के लिए पद्म श्री,ददा साहब फाल्के,राजीव गाँधी सद्भावना आवार्ड और भारत रत्न जैसे कई सारे सर्वोच्च सम्मान भी मिल चुके है।

अब यह सभी अवार्ड्स आपने आप पर ही लता जी के सफलता की गाथा बताते है। पर दोस्तों मै यही कहना चाहंगा की लता मंगेशकर भारत की वह महिला है जिन पर हम सभी को गर्व है और खासकर उनकी ये आवाज को तो हमें अलग ही सुकून देती है। और करीब 90 साल की हो चुकी है तो आच्छे स्वास्थ की हम सदेव कामना करते है। उम्मीद करता हु की ये स्टोरी लता जी की जारूर पसंद आई होगी तो आपने दोस्तों से शेयर जरुर करे।

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