दोस्तों इस ब्लॉग में बात करने जा रहे है भारत के गिने चुने कुछ बेहतरीन अभनेताओ में से एक विश्वनाथ पाटेकर की जिन्हें हम फ़िल्मी दुनिया में नाना पाटेकर के नाम से भी जानते है। दोस्तों आज कल नाना पाटेकर भले ही बहुत कम फिल्मो में काम करते हो लेकिन आज भी इनकी एक्टिंग का कोई तोड़ नहीं है।
एक अभिनेता के तोर पर नाना पाटेकर की पहचान एंग्री यंग मेन के रूप में है। वैसे तो अमिताभ और मिथुन चक्रवर्ती को भी इसी नाम से बुलाया जा चूका है। लेकिन नाना की एक्टिंग सबसे यूनिक है तो दोस्तों नाना पाटेकर का रियल लाइफ में एक्टिंग के हीरो तो है ही लेकिन रियल लाइफ में भी किसी हीरो से कम नहीं है।
किसानों को खेती के लिए नए तकनीक और आर्थिक सहायता प्रदान करने के लिए इन्होने “नाम फाउंडेशन” नाम का एन.जी.ओं की शुरुआत की जिसके तहत नाना ने अपनी निजी सम्पति में से गरीब किसानो की सहायता की इसके आलावा सूखे से परेशान जिन किसानो ने आत्महत्या कर ली थी उनके पत्नियो को भी आर्थिक सहयोग किया है।
बिहार के बढ़ प्रभावित गाव के उन निर्माण के लिए भी इन्होने खूब पैसे खर्च किए,तो दोस्तों समाज के लिए इतने कुछ करने वाले नाना पाटेकर आगर चाहते तो मुंबई में रहकर एसो आराम जिंदगी जी सकते थे। लेकिन नहीं वो अपने गाव में शांत और सरल जीवन जीना पसंद करते थे तो चलिए दोस्तों अपनी एक्टिंग का लोहा मनवा चुके भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने वाले इस मसीहे की लाइफ को हम शुरु से जानते है।
नाना पाटेकर का जन्म 1 जनवरी 1951 को महारास्ट्र के रायगढ़ जिले की एक छोटी सी मुरुद जंजीरा में हुआ था। इनके पिता का नाम दिनकर पाटेकर था जो एक छोटा सा टेक्सटाइल्स प्रिंटिंग का बिज़नस चलाते थे। और इनकी मा का नाम संजनाबाई पाटेकर है जो एक हाउस वाइफ थी
दोस्तों नाना पाटेकर बचपन से ही फिल्नो के बहुत शोकिन थे और जब भी उन्हें मोका मिलता स्कूल और गाव के नाटको में भाग लेते थे। इसके आलावा उन्हें स्केचिंग का भी शोक था अब तक नाना पाटेकर की लाइफ में सब कुछ ठीक ठाक चल रहा था। लेकिन मात्र 13 साल की उम्र में इनके पिता दिनकर पाटेकर की बिज़नस में भरी नुकसान हुआ।
जिससे इन्होने अपने सारे प्रॉपर्टी बेच दिया दोस्तों घर की हालत कुछ इस तरह से ख़राब हो गए की दो वक्त की रोटी मिलेगी या नहीं इसमें कोई भरोसा नहीं था। इस कठिन परिस्थितियों को याद करते हुए नाना पाटेकर ने एक इंटरव्यू में बताया की हम एक एक रोटी के मोहताज थे और 13 साल की उम्र मैं मैंने काम करना शुरु किया था।
उन दिनों में स्कूल से आने के बाद 8 किलोमीटर दूर जाकर सिनेमा के पोस्टर्स पेंट किया करता था। और तब जाकर एक वाक्त का खाना और 35 रुपया महिना मिला करते थे। हलाकि इतनी कठिन परिस्थितियों में भी इन्होने अपने शोक अपनी एक्टिंग से कभी भी समझोता नहीं किया और वे अपने नाटको में भाग लेते रहे।
आगे चलकर इन्होने विजय मेहता के डायरेक्टर्स में काम किया और उस समय उसके रोल को इतना सराहा गया की सभी को पता चल गया था। की वे आगे चलकर फिल्नो में जरुर सफल होंगे और आखिरकार मुज्जफर अली डायरेक्टर ने इनके टेलेंट को पहचाना।
लेकिन 1984 में आई “गमन” फिल्म में इन्हें सपोर्टिंग एक्टर के तोर पर काम मिल गया। हलाकि यह फिल्म कुछ ज्यदा धमाल नहीं मचा सकी लेकिन कही न कही नाना पाटेकर ने एक्टिंग का छाप छोड़ा। जिसकी वजह से इन्हें आगे चलकर सिंहासन,भालू,रघु मैना और सावित्री नाम के मराठी फिल्म में काम मिल गया।
लेकिन 1984 में आई “आज की आवाज” फिल्म से नाना पाटेकर ने हिंदी फिल्मो में असली पहचान बनायीं। और फिर एक के बाद एक अंकुस,प्रतिघात,मोहरे,परिंदा,यसवंत, अब तक छप्पन,अपहरण,वेलकम और राजनीती जैसे सुपरहिट फिल्मो में काम किया। परिंदा,क्रांतिवीर और अग्नि शछी के लिए इन्हें नेशनल फिल्म आवार्ड भी दिया जा चूका है। इसके आलावा वे चार बार फिल्म फेयर आवार्ड और दो बार स्टार स्किल्स आवार्ड भी जीत चुके है।
और नाना को उनके बेहतरीन एक्टिंग के लिए 26 जनवरी 2013 को चोथा सर्वोच्च नागरिक पुरुस्कार पद्म श्री से भी सम्मानित किया गया है। दोस्तों नाना पाटेकर हमेशा गरीब किसानो की मदद करते आ रहे है और भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने में वो थोडा भी नहीं हिचकिचाते।
और जैसे की दोस्तों मैंने पहले ही बताया है की इन्होने नाम फाउंडेशन नमक एक एन.जी.ओं भी खोल रखा है। इसके आलावा बहुत कम लोगो को पता होगा की वे एक स्केच कलाकार भी है और कभी कभी क्रिमनल की स्केच बनवाने में पुलिस की मदद भी करते है।
और नाना पाटेकर की पर्सनल लाइफ की बात करे तो इनकी शादी नीलाकांती पाटेकर जी से हुई जिससे उन्हें एक बेटा मल्हार पाटेकर भी है। और विवाहित जीवन में समस्या के चलते आगे उनका तलाक भी हो गया उम्मीद करता हु की दोस्तों नाना पाटेकर की ये स्टोरी जरुर पसंद आई होगी तो आप अपने दोस्तों से शेयर जरुर करे।