रम्पा विद्रोह कब हुआ था? Rampa Vidroh Kab Hua Tha?
- 1869 ई.
- 1879 ई.
- 1859 ई.
- 1849 ई.
उत्तर : 1879 ई. मे, इन चरो विकल्पो मे से विकल्प (b) सही है।
विश्लेषण-
- रम्पा विद्रोह वर्ष 1879 ई. में हुआ था। ओर इस विद्रोह का नेतृत्वकर्ता अल्लूरी सीताराम राजू थे। ओर यह विद्रोह 1879 ई. से शुरू होकर 1924 ई. तक चला।
- यह विद्रोह खासकर हुआ था आंध्र प्रदेश राज्य मे जो की इसी राज्य के अंदर एक जिला है गोदावरी ओर इसी गोदावरी जिला के अंदर एक जगह का नाम है रम्पा तो इसी जगह पर यह विद्रोह हुआ था।
- इस जगह पर खासकर वहा के आदिवासी लोग रह रहे थे ओर ये आदिवासी लोग ही इस विद्रोह को 1879 ई. मे ही शुरू किए थे।
- इस विद्रोह को शुरू करने का मुख्य कारण है की यहा के आदिवासी अपने पूर्वजों से चले आ रहे पोडु सिस्टम को चलाते आ रहे थे।
- ओर ये पोडु सिस्टम का मतलब यहा के जीतने भी आदिवासी थे वो अपने आप को जिंदा रखने के लिए इस जंगल मे खेती करने के बाद पराली को जला देते थे ओर इसी को पोडु सिस्टम बोलते है।
- लेकिन उस समय यहा भी अंग्रेज़ सरकार का शासन था ओर इन अंग्रेज़ सरकार ने इन आदिवासियो के साथ अत्याचार ओर दुव्यवहर करना शुरू कर दिया ओर बोला की ये जंगल हमारा है जिसमे आप खेती करते है ये सब हमारी प्रॉपर्टि है ओर इसमे आप किसी भी तरह का खेती करने का अधिकार नहीं है ओर न ही पराली को जलाने का अधिकार है।
- ओर फिर वहा पर रह रहे आदिवासियों को इस अंग्रेज़ सरकार के इस रवैया से काफी नाराज हुए। लेकिन यहा पर रह रहे आदिवासियो का कहना था की यह तो हमारी ही जंगल जमीन है ओर हमारे पूर्वज ने इसी जंगल जमीन मे खेती करते थे।
- लेकिन अंग्रेज़ सरकार ने इन लोगो की बातो को मानने से साफ इंकार कर दिया। ओर बोला आपलोग यहा पर किसी भी तरह का खेती नहीं कर सकते है। जिससे की सभी आदिवासी लोग बहुत ही ज़्यदा क्रोधित हो गए। ओर फिर ये विद्रोह 1879 ई.से धीरे धीरे शुरू हुआ।
- ओर फिर अंग्रेज़ सरकार ने इसके तहत एक एक्ट को पारित किया। जो की ये एक्ट था मद्रास फॉरेस्ट एक्ट ओर इसी एक्ट के तहत कोई भी आदिवासी इस जंगल मे किसी भी पेड़ को काट नहीं सकते थे।
- ओर फिर वहा पर धीरे धीरे वहा के लोगो मे भुखमरी जैसी हालत हो गयी ओर इस जंगल जमीन को संभालने के लिए इस विद्रोह के नेता बनकर अल्लूरी सीताराम राजू आए जिससे की इन लोगो को मदद कर सके।
- ओर वहा के आदिवासी लोगो ने तो अब ज़ोर शोर से इस विद्रोह को शुरू किया जिससे की इनलोगो को अपना हक मिल सके।
- ओर इस विद्रोह का विकराल रूप तो 1922 ई. से 1924 ई. तक भयंकर ले चुका था। लेकिन इस विद्रोह का नेतृत्वकर्ता अल्लूरी सीताराम राजू को अंग्रेज़ो ने पकड़ा ओर फिर पेड़ मे बांधकर अंग्रेज़ो ने इन पर गोली चला दी।
- ओर फिर यह विद्रोह धीरे धीरे शांत हो गया। लेकिन उस समय के विद्रोह मे इन आदिवासियों को कोई भी अच्छा परिणाम नहीं मिल पाया।
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