दूसरा चकवा पक्षी। बात करे इस पक्षी का अंग्रजी नाम रूडी शेल्डक और वैज्ञानिक नाम तदोर्ना फेरुगिनिया और ज्यदातर लोग विश्व भर में इसे सुरखाब के नाम से ही जानते है।
और मैं बात करू इस पक्षी के बारे में तो इनके पुरे शारीर में अलग अलग रंगों से भरा हुआ है। और इसका पंख का रंग सफ़ेद के साथ हल्का नारंगी भूरा होता है। और खासकर पूछ की बात करे तो कला रंग के साथ साथ सफ़ेद रंग भी देखने को मिल जाता है।
और अगर आप इसे कही पर भी देखते है तो आपका ध्यान इसी पक्षी की और ही चला जाता है। ये पक्षी अक्सर तालाब के किनारे देखने को कभी कभार मिल जाता है। क्योंकि की इसको जलीय पक्षी भी बोलते है और ज्यदातर इसको तालाब की किनारे ही पसंद है।
और खासकर सर्दियों के मोसम में उपमहाद्वीप की तरफ ज्यदातर पाया जाता है। इस पक्षी का मूल स्थान दक्षिणी यूरोप और मध्य एशिया की तरफ ही होता है। और कभी कभार इधर भी सर्दियों में तालाब के किनारे दिख जाते है और साथ में बहुत जोर जोर से हॉंक हॉंक की अवाजे भी किया करते है।
और कहा जाता है नर और मादा पक्षी दोनों दिन में साथ में ही आपना जीवन व्यतीत करते है। लेकिन जैसे ही रात का समय होने लगता है तब दोनों अलग अलग हो जाते है।
यह पक्षी अपना घोंसला अक्सर तालाब से काफी दूर पर बनाते है और कहा जाता है की मादा एक बार में 8 से 10 अंडे तक दे देती है। और अंडा देने के बाद ज्यदातर समय घोंसला के अंदार ही अपना समय व्यतीत करता है ताकि जल्दी से इनके बच्चे बहार आ जाये।
और नर और मादा दोनों मिलकर इन बच्चों का पूरा ख्याल रखते है। और जैसे ही इनके बच्चे 8 से 10 दिन के हो जाते है तो ये भी उड़ने की कोशिश करने लगते है।
आजकल इन पंछियों की संख्या मध्य और पूर्वी एशिया में लगातार इनकी संख्या बढती जा रही है। और बात करे यूरोप में अभी तक बहुत ही कम संख्या में ये पक्षी बचे हुए है।
ये पक्षी अक्सर रात में इधर से उधर जाते है क्योकी रात में इन पंछियों को बहुत ही अच्छा लगता है। और साथ में इनके भोजन की बात करे तो ये हरी घास,कीड़े,मकोड़े किट वगेरा ही खा कर अपना जीवन चलाते है।
और ज्यदातर यह पक्षी पानी के ऊपर ज्यदातर तेरने को मिल जाता है जिस तरह यहाँ पर बत्तख तेरते हुए दिख जाते है।
जब भी अक्सर आप सुरखाब पक्षी (surkhab bird) को देखेगे तो ये अकेले नहीं होते है और इनके साथ कम से कम 2 से 3 पक्षी और मिलेंगे या फिर कभी कभी आप इनको झुण्ड में भी देखने को मिल जायेगा।
और अक्सर ये पक्षी मध्य एशिया की तरफ प्रजनन के लिए मार्च से मई महीने के अन्दर ही आते है। और इनके सम्बन्ध खासकर नर और मादा में बहुत ही अच्छी दोस्ती बनाये रखते है।